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सही मौक़े कैसे पहचानें या कैसे ढूँढे?

Fee: Rs 5000

About Training

आपने अक्सर सुना होगा कि बहुत से लोग अक्सर सही समय पर सही जगह पहुँच जाते हैं, उन्हें अच्छी-अच्छी opportunities मिलती रहती हैं और वहीं दूसरी ओर अक्सर लोग मौक़े न मिलने का रोना रोते रहते हैं। आख़िर इन दोनों तरह के लोगों में क्या अंतर है? जो अच्छे मौक़े एक को मिल रहे हैं वे दूसरे को क्यों नहीं मिल रहे? क्या ये केवल एक संयोग है या इसके पीछे कोई ख़ास कारण छुपा है। जी हाँ, यह कोई संयोग नहीं है, इसके पीछे कारण है उनकी दूर की सोच और उनकी मौक़े को पहचानने की कला। हमेशा ध्यान रखिए मौक़े कभी भी सीधे-सीधे नहीं आते हैं, कोई आपसे आकर नहीं कहेगा कि यह मौक़ा वह वाला मौक़ा है जो आपको सफल बना सकता है, आपको अमीर बना सकता है आपको लीडर बना सकता है, बल्कि आपको आगे जाकर मौक़े को पहचानना होगा, आपको यह सीखना पड़ेगा कि कौन सा मौक़ा सही मौक़ा है, कब दांव खेलना है और कब नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि जिसे आप मौक़ा समझ रहे हों वह कोई जाल हो, आपको फँसाने के लिए? कब रिस्क लेना है , कितना रिस्क लेना है यह सब व्यक्ति या तो अनुभव से सीखता है या अनुभवी लोगों से। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरों के तजुर्बे से सीखो, वरना हर तजुर्बा अपने ऊपर करने के लिए तुम्हारी उम्र थोड़ी पड़ जाएगी।
यह ट्रेनिंग आपको मौक़ों को पहचानने और अच्छे मौक़े ढूढने के बारे में पूरी जानकारी देगी।
यह ट्रेनिंग 1 घंटे 40 मिनट की है, इसे जब भी सुनें पूरा सुनें, हो सके तो एकांत में बैठकर Earphone लगाकर सुनें।
वैसे तो यह ट्रेनिंग आपके पास रहेगी, आप जब चाहें इसे सुन सकते हैं परन्तु फिर भी Pen और Paper लेकर बैठें और जो Point सही लगें उन्हें Note कर लें।
आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, आशा है कि यह ट्रेनिंग आपको सफलता प्राप्त करने के मौक़ों को पहचानने में काफ़ी सहायक साबित होगी।

About Training

आपने अक्सर सुना होगा कि बहुत से लोग अक्सर सही समय पर सही जगह पहुँच जाते हैं, उन्हें अच्छी-अच्छी opportunities मिलती रहती हैं और वहीं दूसरी ओर अक्सर लोग मौक़े न मिलने का रोना रोते रहते हैं। आख़िर इन दोनों तरह के लोगों में क्या अंतर है? जो अच्छे मौक़े एक को मिल रहे हैं वे दूसरे को क्यों नहीं मिल रहे? क्या ये केवल एक संयोग है या इसके पीछे कोई ख़ास कारण छुपा है। जी हाँ, यह कोई संयोग नहीं है, इसके पीछे कारण है उनकी दूर की सोच और उनकी मौक़े को पहचानने की कला। हमेशा ध्यान रखिए मौक़े कभी भी सीधे-सीधे नहीं आते हैं, कोई आपसे आकर नहीं कहेगा कि यह मौक़ा वह वाला मौक़ा है जो आपको सफल बना सकता है, आपको अमीर बना सकता है आपको लीडर बना सकता है, बल्कि आपको आगे जाकर मौक़े को पहचानना होगा, आपको यह सीखना पड़ेगा कि कौन सा मौक़ा सही मौक़ा है, कब दांव खेलना है और कब नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि जिसे आप मौक़ा समझ रहे हों वह कोई जाल हो, आपको फँसाने के लिए? कब रिस्क लेना है , कितना रिस्क लेना है यह सब व्यक्ति या तो अनुभव से सीखता है या अनुभवी लोगों से। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दूसरों के तजुर्बे से सीखो, वरना हर तजुर्बा अपने ऊपर करने के लिए तुम्हारी उम्र थोड़ी पड़ जाएगी।
यह ट्रेनिंग आपको मौक़ों को पहचानने और अच्छे मौक़े ढूढने के बारे में पूरी जानकारी देगी।
यह ट्रेनिंग 1 घंटे 40 मिनट की है, इसे जब भी सुनें पूरा सुनें, हो सके तो एकांत में बैठकर Earphone लगाकर सुनें।
वैसे तो यह ट्रेनिंग आपके पास रहेगी, आप जब चाहें इसे सुन सकते हैं परन्तु फिर भी Pen और Paper लेकर बैठें और जो Point सही लगें उन्हें Note कर लें।
आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, आशा है कि यह ट्रेनिंग आपको सफलता प्राप्त करने के मौक़ों को पहचानने में काफ़ी सहायक साबित होगी।
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